अबतक ख़बर :: शीतकालीन सत्र की शरूआत के साथ ही इस सत्र में नागरिकता विधेयक पेश करने की सरकार की योजना है। वहीं दूसरी तरफ जम्मू कश्मीर की स्थिति, आर्थिक सुस्ती और बेरोजगारी जैसे ज्वलंत मुद्दों पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच टकराव होने की संभावना है।
नागरिकता (संशोधन) विधेयक को पारित कराने के अलावा इस सत्र के दौरान दो अहम अध्यादेशों को कानून में परिवर्तित कराना भी सरकार की प्राथमिकता में शामिल है। आयकर अधिनियम, 1961 और वित्त अधिनियम, 2019 में संशोधन को प्रभावी बनाने के लिए सितंबर में एक अध्यादेश जारी किया गया था जिसका उद्देश्य नई एवं घरेलू विनिर्माण कंपनियों के लिए कॉरपोरेट कर की दर में कमी लाकर आर्थिक सुस्ती को रोकना और विकास को बढ़ावा देना है।
दूसरा अध्यादेशय भी सितंबर में जारी किया गया था जिसमें ई-सिगरेट और इसी तरह के उत्पाद की बिक्री, निर्माण एवं भंडारण पर प्रतिबंध लगाया गया है।
लोकसभा चुनाव में मिले अपार जनादेश के साथ सत्ता में वापसी करने वाली भाजपा की अगुवाई वाली राजग सरकार का यह इस कार्यकाल में दूसरा संसद सत्र है । संसद के पहले सत्र के दौरान तीन तलाक की प्रथा को दंडनीय बनाने, राष्ट्रीय जांच एजेंसी को और अधिक शक्तियां देने जैसे कई अहम विधेयक दोनों सदनों में पारित हुए। इस दौरान जम्मू कश्मीर के विशेष दर्जे को हटाने और इसे दो केंद्र शासित राज्यों-जम्मू कश्मीर तथा लद्दाख में विभाजित करने का प्रस्ताव भी दोनों सदनों में पारित हुआ। सोमवार से शीतकालीन सत्र की शुरुआत के साथ ही सरकार विवादास्पद नागरिकता (संशोधन) विधेयक को पारित कराने की तैयारी में है, जो भाजपा का अहम मुद्दा है। इसका लक्ष्य पड़ोसी देशों से आए गैर-मुस्लिम प्रवासियों को नागरिकता प्रदान करना है। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि सरकार ने सत्र के दौरान अपनी कार्यसूची में इस विधेयक को सूचीबद्ध किया है। सरकार ने इस विधेयक को अपने पहले कार्यकाल में भी पेश किया था लेकिन विपक्षी दलों के विरोध के चलते इसे पारित नहीं कराया जा सका. विपक्ष ने इस विधेयक की आलोचना करते हुए इसे धार्मिक आधार पर भेदभावपूर्ण बताया है। संसद का यह शीतकालीन सत्र 13 दिसंबर तक चलने वाला है।